नवग्रह दुष्प्रभाव नाशक कवच /ताबीज

नवग्रह शांति
कवच /ताबीज

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व्यक्ति का
जीवन ग्रहों से प्रभावित होता है |इनकी रश्मियों की प्रकृति और मात्रा जन्म समय
व्यक्ति के भाग्य का निर्धारण करती है जबकि इनकी प्रतिदिन की चाल उसी जन्मकालिक
प्रभावों के अनुसार प्रतिदिन के क्रियाकलाप निश्चित करती है |इनके प्रभावानुसार
व्यक्ति का शरीर और उसके अवयव बने होते हैं और तदनुरूप व्यक्ति की सोच ,क्षमता
,कर्म होते हैं |सुख -दुःख इनकी स्थिति के अनुसार ही मिलते हैं और इसे ही भाग्य
कहा जाता है |सभी के लिए सभी ग्रहों के प्रभाव समान नहीं होते तथा जैसा ,जिसका
प्रभाव जिसके लिए हो उसी अनुसार उसका भाग्य ,कर्म और सुख -दुःख के साथ ही शारीरिक
स्थिति हो जाता है |
सभी के लिए
सभी ग्रह शुभ नहीं होते और सभी के लिए सभी अशुभ नहीं होते |इनके संतुलन पर ही
व्यक्ति के जीवन की दशा ,दिशा नियत होती है |कुछ के लिए शुभ ग्रह ही कष्टकारक हो
जाते हैं तो कुछ के लिए क्रूर और पापी ग्रह भी सुखकारक हो जाते हैं |अक्सर सबके
लिए कोई न कोई ग्रह कष्ट का कारण बनता है अपनी स्थिति और चाल के अनुसार |ऐसे में
उसकी शान्ति कराई जाती है ,उपाय किये जात हैं |चूंकि नैसर्गिक कुंडली की स्थिति
बदली नहीं जा सकती ,अतः कोई भी उपाय ग्रह प्रभाव को पूरी तरह नहीं बदल पाता |उसके
दुष्प्रभाव को कम -अधिक किया जा सकता है |इस स्थिति में शुभ और सुख कारक ग्रहों के
प्रभाव को और बढ़ा देने से ,कष्टकारक ग्रह के प्रभाव में कमी आ जाती है |
हमारे
विश्लेषण के अनुसार अक्सर उपाय करते समय एक ही प्रकार का उपाय उपाय किया जाता है
,चाहे वह ज्योतिष के रत्न आदि हों ,या कर्मकांड के वैदिक हवन -पूजा -पाठ आदि या
तंत्र के मंत्रादी का जप और टोने -टोटके |विशेषज्ञता ,विशिष्टता और पूर्ण पद्धति
के अनुसार किये गए उपाय प्रभावी होते हैं इसमें संदेह नहीं किन्तु अक्सर पूर्ण
उपाय श्रमसाध्य और काफी खर्च कराने वाले साबित होते हैं उपर से इनमे सीधे प्रभावित
व्यक्ति की संलिप्तता कम ही होती है जिससे उसे पूर्ण अंश कम ही मिल पाता है |यदि
व्यक्ति एक से अधिक ग्रहों की प्रतिकूलता का सामना कर रहा हो तब तो उसके लिए उपाय
करना और खर्च उठाना या सभी के मूल रत्न आदि धारण करना कठिन हो जाता है |कुछ
स्थितियों में एक ही पूजा -शान्ति का खर्च इतना होता है की व्यक्ति वही नहीं करवा
पाता |
इन स्थितियों
का विश्लेषण करते हुए हमने पाया है की यदि तीनों उपायों के यानी वैदिक ज्योतिषीय
,कर्मकाण्डीय और तंत्रोक्त पद्धतियों के कुछ अंशों को एक साथ समायोजित किया जाय तो
ग्रहों की शुभता को बढ़ाया जा सकता है ,अनिष्ट कारक ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम
किया जा सकता है ,साथ ही उन्हें अनुकूल और प्रसन्न भी रखा जा सकता है |इसके लिए
हमने नवग्रह यन्त्र ,नवग्रहों के वैदिक वनस्पतियों के साथ नवग्रहों से सम्बन्धित
और उन्हें प्रभावित करने वाले तांत्रिक जड़ी बूटियों को एक साथ सम्मिलित कर
नवग्रहों के मंत्र से प्राण प्रतिष्ठा करके ,जप -अभिमन्त्रण और हवन किया |इसके साथ
कुछ अन्य वस्तुओं का संयोग किया जो की व्यक्ति की क्षमता का विकास कर सकें तथा
उसकी नकारात्मकता को हटा सकें जो की पृथ्वी की शक्तियों के कारण उत्पन्न हो रही
हों |यह वस्तुएं हमारे महाविद्या साधना में अभिमंत्रित की हुई थी जिससे यह
महाविद्याओं की शक्ति से श्क्तिकृत हो चुकी थी |इन्हें कवच में सम्मिलित करने पर
यह कवच /ताबीज अद्भुत प्रभाव देने वाले साबित हुए |खुद पर और परिचितों पर प्रयोग
करने के बाद इन्हें हमने बहुतों को प्रदान किया जिसके बहुत अच्छे परिणाम मिले |

यह कवच
नवग्रहों में से किसी के भी दुष्प्रभाव या कई के सम्मिलित दुष्प्रभाव को कम करने
के साथ ही शुभद ग्रहों के प्रभाव को बढ़ा देता है जिससे उनकी पूर्ण शुभता मिलती है
|इस कारण अनिष्ट कारक ग्रह का प्रभाव और कम हो जाता है |इसके साथ ही यदि कोई
नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति पर हो तो वह भी दूर हो जाता है तथा व्यक्ति को भगवती की
भी सुरक्षा मिलती है |इस कवच में नवग्रहों के भोजपत्र निर्मित यन्त्र ,उनकी
ज्योतिषीय वनस्पतियाँ जैसे पीपल ,शमी ,अपामार्ग आदि ,उनसे सम्बन्धित तांत्रिक जड़ी
बूटियों जैसे भारंगी ,अम्लवेत ,नागदौन के जड़ आदि को प्राण प्रतिष्ठित कर उन्हें
तंत्रोक्त नवग्रहीय मन्त्रों से अभिमंत्रित किया गया होता है और तब इनमे अन्य
वस्तुओं जो की भगवती की ऊर्जा को समाहित करती हों को सम्मिलित किया जाता है ताकि
नवग्रहों पर भी प्रभाव पूर्ण हो और भगवती की भी शक्ति अलग से मिले
|

इस कवच /ताबीज का एक लाभ तो यह होता है की यह व्यक्ति के शरीर के सीधे संपर्क में होता है अर्थात सभी उर्जाओं ,शक्तियों ,वस्तुओं को व्यक्ति के शरीर के साथ जोड़ दिया जाता है जिससे उसे पूर्ण लाभ शीघ्र प्राप्त होता है ,इसके साथ इसकी ऊर्जा निश्चित रूप से प्राप्त होती है |दूसरा लाभ यह होता है की व्यक्ति को बार बार अलग अलग ग्रहों आदि के उपाय की बहुत जरूरत नहीं रहती और वह बड़े अनुष्ठानों पूजा -पाठ ,कर्मकांड से भी बचता है तथा खुद कुछ करने की जरूरत भी नहीं होती |तीसरा लाभ इससे यह होता है की इससे टोने -टोटके ,अभिचार ,किये कराये ,नजर दोष आदि से भी सुरक्षा हो जाती है |इस प्रकार यह एक साथ अनेकों उद्देश्य पूर्ण करता है |यह हमारे वर्षों के अनुभव की खोज है जिसके परिणाम बहुत अच्छे मिले हैं |……………………………………………………………..हर हर महादेव 

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