भोजपत्र यन्त्र विशेष क्यों ?

क्यों अधिक प्रभावी होता है भोजपत्र निर्मित यन्त्र धारण करना ?

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         विभिन्न धर्मो ,समुदायों में यन्त्र रचना और धारण प्राचीन काल से चला आ रहा है ,यन्त्र विभिन्न आकृतियों अथवा अंको के एक विशिष्ट संयोजन होते है ,जिनसे एक विशिष्ट उर्जा विकिरित होती है अथवा जिनमे एक विशिष्ट उर्जा संग्रहीत होती है ,जो धारक को विशिष्ट रूप से प्रभावित करती है ,यंत्रो को देवी देवताओ का निवास भी माना जाता है ,यह आंकिक भी होते है अथवा न समझ में आने वाली आकृतियों के भी ,फिर भी इनके विशिष्ट अर्थ होते है ,यंत्रो की पूजा भी की जाती है और धारण भी किया जाता है ,अथवा अन्य रूप से भी उपयोग किया जाता है ,

             यंत्रो का निर्माण वुभिन्न सामग्रियों ,वस्तुओ पर होता है ,कागज़,भोजपत्र ,धातु ,पत्थर ,कपडे आदि पर भी ,,हिन्दू परम्परा के अनुसार भोजपत्र को परम पवित्र माना जाता है ,अन्य माध्यमो की अपेक्षा भोजपत्र पर निर्मित यन्त्र को प्रमुखता दी जाती है क्योकि इसके साथ कई विशिष्टताये जुड़ जाती है ,जो अन्य माध्यमो में कुछ कम पायी जाती है ,

             भोजपत्र स्वयं एक सकारात्मक उर्जा आकर्षित करने वाला माध्यम होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है ,इस पर यन्त्र निर्माण में प्रयुक्त होने वाले अष्टगंध अथवा पंचगंध  की अपनी अलग विशेषता होती है  ,इनमे गोरोचन आदि प्रयुक्त होने वाले पदार्थ नकारात्मक शक्तियों को दूर कर सकारात्मकता को आकर्षित करते है ,यन्त्र निर्माण के समय साधक की विशिष्टता ,उसकी एकाग्रता ,आत्मबल ,उसके हाथो से निकलने वाली तरंगे ,उसकी अपनी सिद्धिया /शक्तिया यन्त्र को अलग बल प्रदान करती है ,निर्माणोंपरांत यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा और उस पर सम्बंधित इष्ट का जप इसे बहुत विशेष बना देता है,यन्त्र निर्माण हेतु निर्दिष्ट और चयनित मुहूर्तो का अपना अलग प्रभाव होता है  ,इसे विशिष्ट साधक ही बना और प्राण प्रतिष्ठित कर सकता है ,जिसके पास सम्बंधित विषय की क्षमता हो ,,इस प्रकार बना यन्त्र धारक पर  शीघ्र और सकारात्मक प्रभाव डालता है ,यन्त्र से उत्सर्जित होने वाली तरंगे व्यक्ति और आसपास के वातावरण को प्रभावित करती है जिससे परिवर्तन होते है और व्यक्ति लाभान्वित होता है|उपरोक्त कोई भी लाभ धातु के यंत्रों में जो की फैक्टरियों में बनते हैं ,उनसे नहीं मिलते |यही कारण है की अक्सर साधक ,तंत्र जानकार ,इन विद्याओं की समझ रखने वाले भोजपत्र पर बने यंत्रों को ही प्राथमिकता देते हैं जिनसे बनाने वाले साधक की शक्ति भी सीधे जुडी होती है |धातु के यन्त्र पूजन हेतु और भोजपत्र के यन्त्र धारण हेतु तंत्र जानकार उपयोग करते हैं | ……………………………………………………………………हर-हर महादेव 

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