Month: May 2018
मनुष्य की शक्तियों के गुप्त केंद्र
मनुष्य के असीम शक्तियों के गुप्त केन्द्र ========================= मनुष्य के भीतर असीम सूक्ष्म शक्तियों के गुप्त–केन्द्र भरे पड़े हैं। इन्हें चक्र, ग्रन्थि एवं उपत्यिकाओंके नाम से पुकारा जाता हैं । प्राणशक्ति के प्रहार से ही इनमें भीतर सोई हुई सिद्धियाँ जाग्रत होती हैं।कुण्डलिनी जागरण से मनुष्य इसी शरीर में देवताओं जैसी सामर्थ्य का अनुभव करने लगता हैं। यहकुण्डलिनी जागरण प्राणायाम की सहायता से ही किया जाता हैं जिसने अपने बिखरे हुए प्राण कोएकत्र कर लिया उस योगी के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। जिसका प्राणतत्त्व पर जितनाआधिपत्य है वह प्रकृति की सूक्ष्म शक्तियों को भी उतनी ही मात्रा में अपने वशवर्ती कर सकेगा।इन्द्रियों का नियंत्रण भी प्राण निरोध के साथ सम्बन्धित है दुष्प्रवृत्तियाँ भी इस प्राणग्निहोत्र हीअग्नि में जल कर भस्म होती हैं। प्राण–विद्या अध्यात्म क्षेत्र में एक स्वतन्त्र विद्या मानी जाती हैं।उसके अंतर्गत अनेक प्रयोजनों के लिए अनेक साधनाएँ की जाती हैं। 84 आसनों की तरह प्राणायामभी 84 प्रकार के हैं। उनके उद्देश्य, प्रयोग, लाभ तथा उपयोग भी भिन्न–भिन्न प्रकार के हैं। उनसबका वर्णन इस लेख में करना अभीष्ट नहीं हैं। वह सब तो समयानुसार होगा। इस समय तोप्राणमय–कोश की साधना के लिए प्रथम वर्ष की प्राण प्रक्रिया का ही उल्लेख करना है। इसे बच्चे सेलेकर बूढ़े तक सभी रोगी–निरोग नर–नारी बड़ी आसानी से कर सकते हैं। इसमें किसी को किसीप्रकार की हानि की आशंका नहीं हैं । सबको लाभ ही होगा।इन्हें प्राण विद्या की साधनाएं कहते हैं|………………………………………………………….हर–हर महादेव
READ MORE: मनुष्य की शक्तियों के गुप्त केंद्रBY