कौन हैं आपके कुलदेवी /देवता ?क्या पूजा पद्धति है आपके कुलदेवता /देवी की ?

कैसे
जाने अपने कुलदेवता को ?कैसे उनकी पूजा
पद्धति बने ?
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कुलदेवता और
कुलदेवी पर हमने बीसियों वर्षों से ध्यान दिया है ,अध्ययन किया है ,समझा है और
पाया है की लोगों की अधिकतर समस्याओं के पीछे कहीं न कहीं कुलदेवी या देवता की
भूमिका होती है ,यद्यपि यह स्वयं कोई समस्या नहीं उत्पन्न करते किन्तु इनकी
निर्लिप्तता से ,इनके रुष्ट होने से या कमजोर होने से पित्र दोष और बाहरी बाधाएं
ऐसी ऐसी समस्या उत्पन्न करते हैं की व्यक्ति अनेकानेक उलझनों ,दिक्कतों में घिरता
जाता है |हमने कुलदेवता और देवी से सम्बन्धित लगभग दो दर्जन पोस्ट लिखे हैं
जिन्हें हमने अपने ब्लॉग और फेसबुक पेजों पर कई वर्ष पहले से प्रकाशित कर रखा है
|हमारे पेजों और ब्लॉग से हमारे पोस्टों को कापी करते हुए अनेक लोगों ने उस पर
विडिओ बना यू ट्यूब पर डाला है किन्तु उन्होंने कुलदेवता या कुलदेवी के नाम वाले
ही पोस्ट उठाये हैं ,अन्य तकनीकियों ,पूजा पद्धति ,सूत्र और सिद्धांत के लेख वह
नहीं उठा पायें हैं और न ही यह विषय उनके खुद के खोज का है अतः वह समग्र और तकनिकी
जानकारी नहीं दे पायें हैं |किसी का पोस्ट उठाकर पढ़ते हुए विडिओ बना देना आसान है
किन्तु तकनीक जानना और वास्तविक भला करना तो केवल खुद के ज्ञान से ही सम्भव है
|हमारे इसी लेख को की कुलदेवता या देवी का पता कैसे लगाएं ,लोगों ने कापी भी किया
होगा और हो सकता है विडिओ भी बनाए हों किन्तु जो गंभीर इससे जुडी बातें हम बताने
जा रहे हैं वह कोई नहीं बता सकता |इस विषय पर एक लेख तो हम भी पहले ही प्रकाशित कर
चुके हैं किन्तु आज वह बात कहने जा रहे जो आपका वास्तविक भला करेगा और इसे न कोई
कापी करने वाला बता सकता है न कोई तांत्रिक ,ज्योतिषी ,पंडित या ओझा -गुनिया |
कुलदेवता या
देवी को जानना मुश्किल नहीं ,यह तो आसान है इस छोटी सी विधि से भी ,पर असली समस्या
उसके बाद ही है क्योंकि आप अपने कुलदेवी या देवता को जानकर भी उन्हें खुश नहीं कर
सकते ,उन्हें नियमतः पूजा नहीं दे सकते जब तक की आपको यह जानकारी न हो जो कुलदेवता
का पता लगाने की विधि के बाद बताई जायेगी |इसलिए यदि आप अपना वास्तविक भला चाहते
हैं और सचमुच कुलदेवी /देवता की स्थापना पूजा करना चाहते हैं तो ध्यान से पढ़ें |
आज के समय में बहुतायत में पाया जा रहा है की लोगों को अपने कुलदेवता/देवी का पता ही नहीं है |वर्षों
से कुलदेवता
/देवी को पूजा नहीं मिल रही है |घरपरिवार का सुरक्षात्मक आवरण समाप्त हो जाने से अनेकानेक समस्याएं अनायास
घेर रही हैं |नकारात्मक उर्जाओं की आवाजाही बेरिक टोक हो रही है |वर्षीं से स्थान
परिवर्तन के कारण पता ही नहीं है की हमारे कुलदेवता
/देवी कौन है
|कैसे उनकी पूजा होती है |कब उनकी पूजा होती है |आदि आदि |इस हेतु एक प्रभावी
प्रयोग है जिससे यह जाना जा सकता है की आपके कुलदेवता कौन है | यह एक साधारण
किन्तु प्रभावी प्रयोग है जिससे आप अपने कुलदेवता अथवा देवी को जान सकते हैं |
 प्रयोग को मंगलवार से शुरू करें
और ११ मंगलवार तक करते रहें
|मंगलवार
को सुबह स्नान आदि से स्वच्छ पवित्र हो अपने देवी देवता की पूजा करें |फिर एक
साबुत सुपारी लेकर उसे अपना कुलदेवता
/देवी मानकर स्नान
आदि करवाकर ,उस पर मौली लपेटकर किसी पात्र में स्थापित करें |इसके बाद आप अपनी
भाषा में उनसे अनुरोध करें की “हे कुल देवता में आपको  जानना चाहता हूँ ,मेरे परिवार से आपका विस्मरण
हो गया है ,हमारी गलतियों को क्षमा करते हुए हमें अपनी जानकारी दें ,इस हेतु में
आपका यहाँ आह्वान करता हूँ ,आप यहाँ स्थान ग्रहण करें और मेरी पूजा ग्रहण करते हुए
अपने बारे में हमें बताएं |इसके बाद उस सुपारी का पंचोपचार पूजन करें |अब रोज रात
को उस सुपारी से प्रार्थना करें की हे कुल्द्वता
/देवी में
आपको जानना चाहता हूँ ,कृपा कर स्वप्न में मार्गदर्शन दीजिये |फिर सुपारी को तकिये
के नीचे रखकर सो जाइए |सुबह उठाकर पुनः उसे पूजा स्थान पर स्थापित कर पंचोपचार
पूजन करें |यह क्रम प्रथम मंगलवार से ११ मंगलवार तक जारी रखें |हर मंगलवार को व्रत
रखें |इस अवधि के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें ,यहाँ तक की बिस्तर और सोने
का स्थान तक शुद्ध और पवित्र रखें |ब्रह्मचर्य का पालन करें और मांस
मदिरा से पूर्ण परहेज रखें |  इस प्रयोग की अवधि के अन्दर आपको
स्वप्न में आपके कुलदेवता
/देवी की जानकारी मिल जायेगी |अगर खुद न समझ सकें तो योग्य जानकार से
स्वप्न विश्लेषण करवाकर जान सकते हैं |इस तरह वर्षों से भूली हुई कुलदेवता की
समस्या हल हो जाएगी और पूजा देने पर आपके परिवार की बहुत सी समस्याएं समाप्त हो
जायेंगी |
यह तो हुई कुलदेवता या देवी का पता लगाने की विधि
किन्तु आप पता लगाकर क्या करेंगे और आज के अनुसार पूजा करके भी क्या करेंगे जब तक
की आपको अपने वंश -परंपरा के अनुसार होने
वाली पूजा पद्धति का पता न हों |उस तिथि का पता न हो जिस तिथि पर आपके पूर्वज पूजा
करते आये थे |आपको कुलदेवता या देवी का नाम पता लग जाए तो भी आपका वास्तविक भला
नहीं हो सकता जब तक की आपको अपने कुल परंपरा के अनुसार पूजा पद्धति न पता हो | कुलदेवता
/देवी के बारे में नाम आदि कुछ सिद्ध बता सकते हैं किन्तु आपकी कुलानुसार पूजा
पद्धति कोई नहीं बता सकता |
ध्यान दीजिये आप सभी किसी न किसी ऋषि के ही वंशज
हैं और आपके पूर्वज ऋषि ने अपने अनुकूल ,अपने
कर्म के अनुकूल ,अपने संस्कारों के अनुकूल कुल देवता या कुलदेवी की स्थापना की थी
और अपनी संस्कृति और संस्कार के अनुसार पूजा पद्धति बनाई थी जिससे उस कुलदेवता या
देवी की कृपा उन्ह प्राप्त होती रहे |उदाहरण के लिए हम गौतम ऋषि के वंशजों को लेते
हैं |गौतम ऋषि जहाँ रहते थे वहां स्थानिक रूप से उपलब्ध सामग्रियों में से
उन्होंने अपने कुलदेवता के अनुकूल वस्तुओं का चयन कर एक पूजा पद्धति बनाई और पूजा
शुरू की |फिर अपने से सम्बन्धित सम्बन्धियों के कर्मानुसार चारो कर्म के अनुकूल
विशेष पूजा पद्धतियाँ बना दी जो उस कुलदेवता या देवी की चार विशिष्ट प्रकार की
पूजा हो गयी |यह चार प्रकार के कर्म करने वाले ही बाद में जातियों में बदल गए ,किन्तु
उनके पूजा पद्धति इन्ही चार प्रकारों में से रहे |ध्यान दीजिये गौतम ऋषि सहित सभी
ऋषियों के गोत्र अन्य जातियों में भी मिलते हैं |ऊँची ,नीची जाती का कोई विशेष अलग
गोत्र नहीं होता और सभी ऋषियों की ही संतानें हैं |तो अब उस स्थान विशेष पर
कर्मानुसार एक देवता की चार प्रकार की पूजा हो गयी |कालान्तर में उस स्थान से कुछ
लोग निकलकर देश -विदेश के अलग स्थानों पर बसे किन्तु उनकी पूजा पद्धति एक ही रही |
मूल स्थान से दूरी अधिक होने पर और मूल पूजन सामग्री की उपलब्धता न होने पर
उन्होंने अपने गुरुओं ,श्रेष्ठों से सलाह -मशवरा करके विकल्प के साथ स्थायी पूजा
पद्धति उस स्थान पर बना ली |अब उस कुल -गोत्र की वह पूजा पद्धति स्थायी हो गयी और
वह कुलदेवता /देवी के अनुकूल थी |ऐसा ही सभी ऋषियों के वंशजों और कर्म विशेष वाली
जातियों के साथ हुआ |अब किसी दूर देश में अलग अलग ऋषियों के वंशजों की पूजा
पद्धतियों में तो भिन्नता हुई ही उनके कुलदेवता या देवी भी अलग अलग हो गए ,इसके
बाद इनमे से उत्पन्न जातियों के पूजा पद्धति और अलग हो गए जो अपने मूल ऋषि की पूजा
पद्धति से तो मिलते जुलते थे किन्तु जाति अनुसार आपस में भी और भिन्न ऋषियों के
वंशजों से भी बिलकुल भिन्न हो गए |इस प्रकार हर कुल -वंश के लिए अलग पूजा पद्धति
विकसित हो गयी |विशेष पूजा पद्धति के अनुसार कई हजार वर्ष पूजा होते रहने से उनके
कुलदेवता और देवी उस पूजा पद्धति के अनुकूल रहे |इस पूजा पद्धति में बाद में बदलाव
नहीं किया जा सकता क्योंकि ऊर्जा प्रकृति बिगड़ने की सम्भावना रहती है |क्या पता
किसी कुलदेवता कोई कोई चीज नापसंद हो |
         यह भी ध्यान दीजिये कि उस समय सभी वस्तुएं सभी जगहों पर न पैदा होती थी न ही
उपलब्ध होती थी अतः स्थान विशेष की पूजा पद्धति विशेष होती थी |आज वह स्थिति नहीं
है ,हर वस्तु हर स्थान पर उपलब्ध हो जा रही है और यह भी आप नहीं कह सकते की कोई
वस्तु नहीं मिल रही |आपके कुलदेवता सब देख रहे हैं की आप कितने गंभीर हैं और बहाना
तो नहीं बना रहे |आप सोचिये स्थान स्थान पर अलग अलग ऋषि वंशजों और जातियों की जब
अलग अलग पूजा पद्धति हो गयी तो एक ही पूजा पद्धति किसी कुलदेवता या देवी के लिए
कैसे अनुकूल होगी |कोई ज्ञानी ,जानकार ,पंडित आपके कुलदेवता या देवी के बारे में
तो बता देगा या आप उपर बताई हमारी ही पद्धति से उनके बारे में जान तो जायेंगे पर
आप पूजा पद्धति कहाँ से लायेंगे ,यह कौन बतायेगा ,क्या क्या उस देवता के अनुकूल है
आपके वंश परंपरा के अनुसार आप कैसे जानेंगे ,क्या क्या चढ़ाया जाएगा या चढ़ाया जाता
रहा है यह आप कैसे जानेंगे ,कौन सी तिथि उनकी पूजा के लिए उपयुक्त रही है और आपके
पूर्वज किस तिथि को उन्हें पूजते रहे हैं आप कैसे जानेंगे |यह सब कोई सिद्ध ,तांत्रिक
,पंडित ,पुरोहित ,ज्योतिषी नहीं बता सकता |न ही कोई विधि इसके बारे में बता सकती
है |कोई जानकार हर कुल -वंश और उनकी परंपरा के बारे नहीं बता सकता अतः मूल पद्धति
का ,वस्तुओं का पता लगाना कुलदेवता /देवी को जानने से अधिक जरुरी है क्योंकि एक ही
देवता की वंश -कुल के अनुसार कई तरह की पूजा पद्धतियाँ हो सकती हैं |
यह कुलदेवता हजारों वर्षों तक विशेष प्रकार की पूजा पाते पाते
उसके आदी हो चुके होते हैं और यह उनके अनुकूल भी होता है अतः इसमें परिवर्तन नहीं
किया जा सकता |छोटा सा परिवरतन इन्हें रुष्ट कर देता है |उस समय के ऋषि ज्ञानी थे
जो कहीं कहीं उन्होंने विकल्प खोज कर स्थान विशेष की पद्धति बना ली किन्तु आज उस
स्तर का कोई ज्ञानी नहीं मिलता अतः परिवर्तन नहीं किया जा सकता |मूल पूजा पद्धति
का कोई विकल्प नहीं |हमने खुद इतने वर्षों की खोज के बाद एक पूजा पद्धति विकसित की
है किन्तु उसे हमने नवरात्र से जोड़ा है क्योंकि हम जानते हैं की मूल पद्धति का कोई
विकल्प नहीं |जो भी विकल्प बनाए जायेंगे वह उतना लाभ नहीं दे पायेंगे |हमारे बनाए
पूजा पद्धति को भी कुछ महागुरु लोग हमारे ब्लॉग से और फेसबुक पेज से कापी करके
फेसबुक या यू ट्यूब पर डाल चुके हैं किन्तु यह लोग हमारे ज्ञान और विशेष तकनीकी
पद्धति को कहाँ से लायेंगे जो हम अपने विडिओ में प्रकाशित करेंगे या लिखेंगे |कुलदेवता
या देवी की पूजा पद्धति हम पहले ही इस ब्लॉग पर और फेसबुक पेजों पर प्रकाशित कर
चुके हैं किन्तु फिर से नए लेख में विस्तार से वह तकनीकियाँ हम शामिल कर रहे जिससे
लोगों को अधिकतम लाभ मिल सके |धन्यवाद
..………………………………………………………………..हरहर महादेव

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