सर्वसुखदायक ,सर्वकष्ट निवारक डिब्बी

सर्वसौख्य
प्रदायक ,सर्वदुष्प्रभाव नाशक डिब्बी

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महामंगलकारी
,सर्वकष्ट निवारक डिब्बी
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ज्योतिष में
,वैदिक पूजन में ,कर्मकांड में और विशेषकर तंत्र में वनस्पतियों और उनकी जड़ों का
प्रयोग वैदिक काल से होता रहा है ,क्योंकि भिन्न वनस्पति भिन्न ग्रहों की रश्मियों
/उर्जाओं ,भिन्न अलौकिक शक्तियों ,भिन्न पारलौकिक उर्जाओं को अवशोषित करती है
,उनके गुण रखती है ,उन्हें संगृहीत रखती हैं ,उनसे संतृप्त होती है |इसलिए इनका
प्रयोग ग्रह शान्ति ,देवता प्रसन्नता ,दैवीय शक्ति /ऊर्जा प्राप्त करने ,नकारात्मक
शक्तियों को हटाने ,अलग अलग शक्तियों को जोड़ने -प्राप्त करने ,शारीरिक ऊर्जा
-आभामंडल को सुधारने और विकसित करने ,शारीरिक क्षमता प्राप्त करने में हमेशा से
होता रहा है |इनके महत्त्व ,इनके विशेषताओं के कारण ही यह हमारे रूचि का केंद्र
रहे हैं |तंत्र और ज्योतिष के वर्षों के शोध और अनुभव के बाद हमने कुछ विशेष जड़ी
-बूटियों और वनस्पतियों को एकसाथ जोडकर अर्थात इकठ्ठा रखकर ,उनका पूजन -प्राण
प्रतिष्ठा -अभिमन्त्रण कर प्रभाव का आकलन किया और पाया की यह वनस्पतियाँ और जड़ें
अद्भुत चमत्कारी सिद्ध हुईं |इन्हें इनके लिए शास्त्रों में निर्दिष्ट मुहूर्त
-नक्षत्र में आमंत्रित ,निष्काषित ,प्राण प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित किया गया जिससे
इनके मौलिक गुण और ग्रह अथवा शक्ति विशेष के लिए सक्रियता बनी रहे और प्रभावी रहें
|इनको क्रमशः इनके लिए निर्दिष्ट नियमों के अंतर्गत एकत्र करते हुए पूरे वर्ष भर
में इकठ्ठा कर ,साथ में रख पुनः महाविद्या के मन्त्रों से अभिमंत्रित किया गया
|इसके बाद इनके प्रभाव का कलां करने पर पाया गया की यह सभी कष्टों ,बाधाओं
,नकारात्मक शक्तियों को हटाने में ,सभी ग्रहों को शांत करने में ,सब प्रकार से
मंगल करने में ,सर्वसौख्य प्रदान करने में सक्षम है |
इस डिब्बी के
निर्माण की प्रक्रिया में रविवार को आकडे की लकड़ी और जड़ ,बेलपत्र का निचला मोटा
भाग [पत्र मूल ],,,सोमवार को पलाश के फूल ,खिरनी की जड़ ,पलाश की लकड़ी ,,,मंगलवार
को अनंत मूल की जड़ ,लाल चन्दन का टुकड़ा ,खैर की जड़ ,खैर की लकड़ी ,,,बुधवार को
अपामार्ग का पत्ता ,जड़ और लकड़ी ,विधारा की जड़ ,सफ़ेद चन्दन की जड़ या लकड़ी ,दूब
,,,गुरूवार को पीपल की लकड़ी ,पिला चन्दन की जड़ या लकड़ी ,केले की जड़ ,असगंध की जड़
,कुश की लकड़ी ,,,शुक्रवार को -गूलर की जड़ गूलर की लकड़ी ,सरपंखा की जड़ ,सफ़ेद पलाश
के फूल ,,,शनिवार को शमी की जड़ ,शमी की लकड़ी ,बिछुआ पौधे की जड़ ,को लाकर उसी दिन
में विधिवत प्राण प्रतिष्ठित किया जाता है और उस ग्रह के मन्त्रों से प्रतिदिन
अभिमंत्रित करके इकठ्ठा करते हुए एक डिब्बी में रखते जाया जाता है ,इसके बाद इनमे
मृगशिरा नक्षत्र में निष्कासित महुआ की जड़ ,पुष्य नक्षत्र में निष्कासित नागरबेल
की जड़ ,अनुराधा नक्षत्र में निष्कासित चमेली की जड़ ,भरणी नक्षत्र में निष्कासित
शंखाहुली की जड़ ,हस्त नक्षत्र में निष्कासित चम्पा की जड़ ,मूल नक्षत्र में पुनः
निष्कासित गूलर की जड़ ,माघ नक्षत्र में पुनः निष्कासित पीपल की जड़ ,चित्रा नक्षत्र
में निष्कासित गुलाब की जड़ और आर्द्रा नक्षत्र में पुनः निष्कासित अर्क की जड़ को
इकठ्ठा रखा दिया जाता है |
उपरोक्त
वनस्पति योग में रवि पुष्य योग में निष्काषित -प्राण प्रतिष्ठित महायोगेश्वरी की
जड़ ,सफ़ेद आक की जड़ ,धतूरा की जड़ ,दूब की जड़ ,पीपल की जड़ ,आम की जड़ ,बरगद की जड़
,निर्गुन्डी की जड़ ,सहदेई की जड़ ,बेल का जड़ ,गूलर के पत्ते और जड़ ,नागदौन की जड़
,हरसिंगार की जड़ ,अपराजिता की जड़ ,हत्था जोड़ी [एक जड़ ],लघु नारियल को भी प्राण
प्रतिष्ठित कर रखा जाता है ,फिर गुरु पुष्य योग आने पर इसमें उस दिन निष्कासित तथा
प्राण -प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित  कुष की जड़
,केले की जड़ ,पीला चन्दन का जड़ या लकड़ी को भी प्राण प्रतिष्ठित -अभिमंत्रित कर
इनके साथ मिला दिया जाता है |इस प्रकार इस योग की निर्माण प्रक्रिया पूर्ण होती है
|फिर सभी वनस्पतियों और जड़ों से युक्त इस डिब्बी पर बगला ,काली या श्री विद्या के
मन्त्रों से २१ दिन अभिमन्त्रण कर हवन करके इसे उसमे ढूपित किया जाता है |इस
प्रकार सभी वानस्पतिक जड़ और पत्रादि युक्त यह योग अद्भुत ,चमत्कारी प्रभाव देने
वाला हो जाता है |इन्हें एकसाथ संयुक्त इकठ्ठा करके इसमें पीला पारायुक्त सिन्दूर
डाल दिया जाता है और ऐसी व्यवस्था रखनी होती है की इसमें जल न जाए ताकि यह वनस्पतियाँ
और जड़ें खराब न हों |
उपरोक्त
वनस्पतियों का योग सभी ग्रहों का वैदिक रूप से भी और तंत्रोक्त रूप से भी
प्रतिनिधित्व करता है |देवताओं -देवियों में गणपति ,विष्णु ,शिव ,हनुमान
,दत्तात्रेय ,काली ,चामुंडा ,लक्ष्मी ,दुर्गा ,सरस्वती का भी प्रतिनिधित्व करता है
|इनके अतिरिक्त अनेक स्थानीय शक्तियों ,यक्षिणीयों का भी प्रतिनिधित्व करता है |इस
पर सभी प्रकार के पूजा और मंत्र जप किये जा सकते हैं |इसकी सामान्य पूजा भी किसी
भी अन्य पूजा से अधिक लाभप्रद होती है |यह व्यक्ति के साथ ही सम्पूर्ण परिवार को
सुखी रखता है |सबके ग्रह पीड़ा ,ग्रह दोष शांत होते हैं |घर की नकारात्मक ऊर्जा का
क्षय होता है ,नकारात्मक शक्तियां ,भूत -प्रेत घर से पलायन कर जाते हैं |आर्थिक
समृद्धि के मार्ग प्रशस्त होते हैं और आय के नए स्रोत उत्पन्न होते हैं |देवताओं
की कृपा प्राप्त होती है |प्रतिदिन पूजन में सभी सामग्रियां बाहर ही अर्पित होती
हैं मात्र पीला पारायुक्त सिन्दूर ही अन्दर डिब्बी में डाला जाता है |यह सिन्दूर
चमत्कारी हो जाता है और इसका तिलक विजयदायी और सम्मोहक होता है |इस डिब्बी पर
चामुंडा ,दुर्गा ,काली ,विष्णु ,हनुमान आदि के मंत्र तीव्र प्रभाव दिखाते हैं |इस
डिब्बी के प्रभाव से जीवन के सभी पक्षों में उन्नति होती है |
यह योग हमारे
वर्षों के खोज का परिणाम है जिसमे पूरे वर्ष सतत दृष्टि वनस्पतियों की खोज और
नक्षत्रों क योग पर रखनी होती है ||सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण होने पर यह डिब्बी
इतनी प्रभावकारी हो जाती है की जहाँ भी इसे रखा जाता है वहां से सभी प्रकार की
नकारात्मक ऊर्जा ,नकारात्मक शक्ति ,भूत -प्रेत ,टोने -टोटके -अभिचार का प्रभाव
समाप्त होने लगता है |यदि किसी बुरी शक्ति या ऊर्जा को वचन बद्ध या मंत्र बद्ध
करके भेजा गया तो वह ही मजबूरी में वहां टिक पाती है अन्यथा सभी बुरी शक्तियाँ
वहां से पलायन कर जाती है |इससे वास्तु दोष का शमन होता है ,ग्रह शांत होते हैं
,दैवीय प्रसन्नता होती है ,पित्र दोष का प्रभाव कम होने लगता है ,काल सर्प दोष
,मांगलिक दोष जैसे बुरे ग्रह योग का प्रभाव कम होने लगता है |व्यक्ति के आभामंडल
की नकारात्मकता कम होने लगती है |मांगलिक कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होती
हैं |पूजा करने वाले में आकर्षण शक्ति का विकास होता है जबकि पूरे घर -परिवार में
सभी को अपने आप लाभ होता है तथा घर -परिवार में सुख -शांति -समृद्धि का विकास होने
लगता है ,सबकी उन्नति होने लगती है |

हमारे यहं
निर्मित होने वाली चमत्कारी दिव्य गुटिका से यह डिब्बी इस मामले में अलग है की
,इसका मूल प्रभाव शान्ति कारक है और यह सभी ग्रहों ,वातावरणीय ,अभिचारात्मक
प्रभावों को शांत कर उन्हें दूर करती है, जबकि दिव्य गुटिका तीव्र प्रतिक्रया करती
है तथा व्यक्ति में परिवर्तन लाती है |दिव्य गुटिका में वानस्पतिक जड़ी बूटियों के
साथ जंतु उत्पाद भी होते हैं जबकि यह डिब्बी शुद्ध वनस्पतियों और जड़ों पर आधारित
है |इसमें नवग्रहों की बाधा और बुरे योग ,भाग्य अवरोध ,वास्तु दोष ,पित्र दोष को
ध्यान में रखते हुए जड़ी -बूटियाँ सम्मिलित की गयी हैं जिससे व्यक्ति के साथ समस्त
घर और परिवार को समस्या से मुक्ति मिले |चमत्कारी दिव्य गुटिका का निर्माण
नकारात्मक शक्तियों को हटाने और व्यावसायिक अथवा व्यक्तिगत उन्नति को दृष्टिगत
रखते हुए किया गया है जबकि इस डिब्बी का निर्माण पारिवारिक समृद्धि /सुख ,ग्रह
बाधा के साह ही समस्त विघ्नों के नाश को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है |इससे सभी
प्रकार से सुख मिले ,इसलिए ही इसका नाम हमने सर्वसौख्य प्रदायक डिब्बी रखा है |सभी
प्रकार का मंगल हो इसलिए इसका नाम हमने महामंगल दायक डिब्बी रखा है |सभी प्रकार के
कष्ट और दुष्प्रभावों का नाश हो इसलिए इसे हम सर्व दुष्प्रभाव नाशक ,सर्व कष्ट
निवारक डिब्बी से भी संबोधित कर रहे |यह हमारा व्यक्तिगत शोध है ,जिसपर अनेक पोस्ट
हमारे पेजों ,ब्लागों पर आते रहेंगे |किसी अन्य द्वारा इसे अपने नाम से प्रकाशित
करना उसके द्वारा पाठकों को धोखा देना होगा
|

इस डिब्बी और
योग के पूजन मात्र से घर में चोरी की सम्भावना कम हो जाती है ,किसी द्वारा पैसे
हडपे जाने की संभावना कम होती है ,रात्रि में बुरे सपने नहीं आते ,दुष्ट व्यक्ति
से भय कम हो जाता है और शत्रु भी मित्र बनने लगते हैं ,बुरा व्यक्ति भी प्यार करने
लगता है ,उच्च लोग वशीभूत होते हैं ,स्त्री -पुरुष वश में होते है ,भूत -प्रेत
बाधा दूर होती है ,दूसरों द्वारा धन प्राप्ति की संभावना बढती है ,विवाद -मुकदमे
-परीक्षा -प्रतियोगिता में विजय मिलती है ,व्यक्ति की समय के साथ अतीन्द्रिय शक्ति
का विकास होने लगता है और अचानक निकली बातें सच होने लगती हैं ,शारीरिक कष्ट में
कमी आती है |सूर्य की अशुभता शांत होती है और पित्र शांत होते हैं ,व्यक्ति का तेज
बढने लगता है ,बल -पौरुष की वृद्धि होती है |चन्द्रमा के दुष्प्रभाव शांत होते हैं
और शरीर की कान्ति बढती है |मंगल के दोष -मांगलिक आदि प्रभाव से हो रही परेशानी कम
होने लगती है ,मांगलिक कार्यों -विवाह आदि में आ रही अडचनें दूर होती हैं |बुध की
अशुभता का प्रभाव कम होता है और उससे उत्पन्न समस्याओं का क्षरण होता है |वृहस्पति
शांत होता है ,पित्र और विष्णु प्रसन्न होते हैं |शुक्र के दुस्प्राभावों में कमी
आती है और शनि जनित समस्या में कमी आने लगती है |कालसर्प दोष के प्रभाव कम होने
लगते हैं ,गंभीर और लम्बी बीमारियों से राहत की संभावना बढ़ जाती है |आकस्मिक
दुर्घटनाओं ,अकाल मृत्यु की संभावना कम हो जाती है और इनसे होने वाली परेशानी में
कमी आ जाती है |व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक होता है ,आस -पास सम्पर्क में आने
वाले लोग प्रभावित और वशीभूत होते हैं |वाणी की ओज बढ़ जाती है |तुतलाहट ,घबराहट
,हीन भावना ,चिंता ,शारीरिक -मानसिक अवरोध में कमी आने लगती है |सुख समृद्धि
क्रमशः बढती जाती है |आय के नए स्रोत बनते हैं ,सही समय सही निर्णय क्षमता का
विकास होता है | यह हमारा व्यक्तिगत शोध है जिसे हमने अपने blog -tantricsolution.blogspot.com पर सर्वप्रथम प्रकाशित किया है |………………………………………………………हर हर महादेव 

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